लेखक - परिचय

Yoga consciousness management is the basic foundation of happy life

योग चेतना प्रबंधन सुखी जीवन मूल आधार है

कृतिकार - डॉ शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
शिक्षा - बी. एससी - भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र , गणित
एम . एससी - भौतिक शास्त्र (इलेक्ट्रॉनिक्स)
एम. फिल. - भौतिक शास्त्र (माइक्रोप्रोसेसर )
पी. एचडी - भौतिक शास्त्र
एम. ए - मानवीय चेतना एवं योग विज्ञान
पी.जी.डिप्लोमा - पोस्ट बी. एस सी. डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स
एम. सी. ए - प्रथम ऑनर्स
पत्राचार पाठ्यक्रम - एक वर्षीय - गीता एडवांस कोर्स, इस्कॉन, उज्जैन
सम्प्रति - प्राध्यापक भौतिक शास्त्र उच्च शिक्षा मध्य प्रदेश शासन शाश्कीय विज्ञान महाविद्यालय, जबलपुर
ई-गवर्नेस हेतु अधिकृत प्रशिक्षक - इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सुचना प्राद्यौगिकी मंत्रालय भारत सरकार

पतंजलि सूत्र "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः" , 'सभी विकर्षणों और संघर्षों से मन को साफ़ करने' की कला योग है।

भारतीय ज्ञान परंपरा द्वारा - योग चेतना की विकास यात्रा से सजगता प्रबंधन की शुद्धिकरण प्रक्रिया से सत्य की गहन अंतरदृष्टि प्राप्त होती है। इस अंतर्प्रवाहित चेतना के प्रबंधन से मन की ज्योति जगती है , इस प्रकार प्राप्त प्रकाश अत्यंत शक्तिशाली होता है जो कि मन-मस्तिष्क और नाड़ी तंत्र में एक नए परिवर्तन की ओर ले जाता है। इससे नवीन नाड़ी तरंगे, नए स्पंदन, नए गलियाँ, नवीन कोशिकाएं निर्मित होती है सम्पूर्ण मन एवं नाड़ी तान्त्र का नवीनीकरण होता है

भारतीय ज्ञान परंपरा द्वारा - योग चेतना की विकास यात्रा से सजगता प्रबंधन में अनेक ऐसे विषयों पर चर्चा की गई है जिससे मानव जीवन में किसी भी प्रकार के बुरे विचार जैसे विद्वेष , ईर्ष्या , लोभ, कामुक प्रवृत्ति , अहंकार इत्यादि पर काबू पाया जा सकता है। इस वेबसाइट का अवलोकन नित्य उत्तम और यथार्थ सुख क्या है? इसका अनुभव कराएगा

भारतीय ज्ञान परंपरा द्वारा - योग चेतना की विकास यात्रा से सजगता प्रबंधन का सम्पूर्ण मंथन आपको आध्यत्मिक चेतना के नजदीक, निर्विकार अवस्था तक पहुचायेगा तथा विचारों की प्रकृति एवं शक्ति को समझने और स्वीकार करने की ताकत देगा. तब मन मस्तिष्क में यह भाव पैदा होंगे "उत्कृष्ट श्रेष्ठ विचारों का भी अतिक्रमण कर लो और निर्विकार अवस्था में प्रवेश करो। स्वयं को शुद्ध चेतना के साथ एक कर दो

चेतना का अर्थ है सोयी हुई अनंत संभावनाओं का जागरण, जिसने की योग से चेतना के अनत शक्तियों का विकास का मानव शरीर के स्थूल, सूक्ष्म एवं कारण शरीर में चमत्कारी परिवर्तन इन्ही बातों का उल्लेख इस संग्रह "योग चेतना प्रबंधन" में निहित है।

जीवन का स्त्रोत -चेतना में निहित है अब जबकि ऐसे लोगो के लिए जो कि आधुनिक वैज्ञानिकों की प्रत्येक घोषणा का जांचा हुआ और सिद्ध सत्य स्वीकार करने लगे है इस वेब के अनेक भागों में नवीन दृष्टिटों को प्रदान करने वाली होगी। हमारी भौतिक और आध्यात्मिक चेतना के सम्बन्ध में अनभिज्ञता यह है की हम यह समझते है की प्रत्येक भौतिक चेतना का प्रारम्भ भौतिक वास्तु से होता है इसका कारण पदार्थ है चूँकि पदार्थ आध्यत्मिकता से उत्पन्न होता है इसलिए प्रत्येक वास्तु आध्यात्मिक है।

आध्यत्मिक चेतना एक स्त्रोत है और इसके बिना भौतिक चेतना शुन्य है जिस प्रकार अन्धकार प्रकाश से प्रारम्भ होता है न की प्रकाश अंधकार से। इसलिए हम यह कह सकते है की चेतना सदैव विद्यमान रहती है, किन्तु जब यह अज्ञान के परदे से घिर जाती है तब यह शून्यता का रूप धारण कर लेती है।

योग एवं चेतना प्रबंधन वेबसाइट में अनेक प्रकार की विधियों का उल्लेख किया गया है है जिससे हम योग द्वारा हमारी शारीरिक , मानसिक , प्राणिक चेतना प्रबंधन कर आध्यात्मिक चेतना में समाहित कर सकें और अपने जीवन को एक सही दिशा दे कर समुचित आनंद का अनुभव कर सकें।