"ध्यान" या "मैडिटेशन" एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपने दिमाग और मन को एकाग्रचित करने की कोशिश करता है। कई धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के रूप में प्राचीन काल से ध्यान करने का अभ्यास किया जा रहा है। 

"ध्यान" वैसे तो अपने आप में एक मानसिक अवस्था है, लेकिन इसे आम और से एक अभ्यास के रूप में भी जाना जाता है। इसके अभ्यास से कोई नुकसान नहीं होता। अगर आप नियमित रूप से अभ्यास करें तो विपरीत परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन बनाये रख सकते हैं और कई अन्य लाभ हासिल कर सकते हैं। 

"ध्यान" एक विचारहीन जागरूकता अवस्था (Thoughtless Awareness) है, जो नींद या समाधि नहीं है, इसमें व्यक्ति पूरी तरह से अपने नियंत्रण में होता है बस वो अपने दिमाग का उपयोग किसी का विश्लेषण करने अर्थात किसी और की बातें करने के लिए नहीं करता है। इस अवस्था में आपके दिमाग में कोई लौकिक विचार नहीं होता, लेकिन आप पूर्ण रूप से सचेत होते हैं। 

ध्यान का अभ्यास करने के कई तरीके हैं। इन तकनीकों की सहायता से प्राण (जीवन शक्ति) नामक आंतरिक ऊर्जा का निर्माण और करुणा, प्रेम, धैर्य, उदारता और क्षमा की भावना का विकास किया जाता है। इसके अलावा, तनाव और उच्च रक्तचाप कम करने जैसे कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।

ध्यान क्या है ?

आजकल मेडिटेशन (ध्यान) के नाम से हर कोई वाकिफ है। टीवी, इंटरनेट, फोन हर जगह इसके बारे में कुछ न कुछ सुनने या पढ़ने को मिल जायेगा। लेकिन इसकी इतनी लोकप्रियता के बावजूद, बहुत से लोग ये नहीं जानते हैं कि वास्तव में ध्यान है क्या? कुछ लोगों के अनुसार, ध्यान एक मानसिक एकाग्रता है अर्थात अपने दिमाग और मन को एकाग्र करना ही मेडिटेशन होता है, कुछ को लगता है कि ध्यान वो लोग करते हैं जिन्हें शांति या संतोष चाहिए होता है अर्थात जो लोग दुनिया के शोर शराबे से दूर रहना चाहते हैं।

ये अभ्यास वास्तव में ध्यान नहीं हैं। ये सब मेडिटेशन के विकल्प हैं क्योंकि आम तौर पर अपने दिमाग को एकदम से शांत करना या अनेकों विचारों को दिमाग में आने से रोकना आम आदमी के लिए बहुत कठिन काम है। वास्तव में, ध्यान बिना पहले से सोचे, बिना योजना बनाये दिमाग के अपने आप शांत रहने की अवस्था है। अर्थात इसके लिए आपको कुछ अलग से करने की ज़रूरत नहीं है। खुश रहने, आसपास के लोगों का प्यार मिलने आदि से इसका अनुभव अपने आप होता है।

ध्यान (Meditation) में किसी चीज़ या किसी व्यक्ति की कल्पना नहीं की जाती है, बल्कि इसमें मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शांति महसूस की जाती है। अगर आप अपने दिमाग में आने वाले विचारों को विचारहीन जागरूकता अवस्था (Thoughtless Awareness) द्वारा धीमा कर सकते हैं तो इससे आपको बेहद फायदा होगा।

विचारहीन जागरूकता, नींद या समाधि नहीं है, इसमें व्यक्ति पूरी तरह से अपने नियंत्रण में होता है बस इसमें वो अपने दिमाग का उपयोग किसी का विश्लेषण करने अर्थात किसी और की बातें करने के लिए नहीं करता है।

आप मेडिटेशन की स्थिति में हैं या नहीं इसकी परवाह किये बिना आप किसी भी समय ध्यान कर सकते हैं। कोई व्यक्ति अपना रोज़मर्रा का काम करते समय भी ध्यान कर सकता है इसके लिए ये ज़रूरी नहीं कि आप कमल आसन (Lotus posture) की मुद्रा में पहाड़ों पर ही बैठें।

जब आप मेडिटेशन के विभिन्न स्पष्टीकरण और लेखों पर एक नज़र डालेंगे तो उनमें अक्सर कुछ क्षण चुपचाप बैठने या विचार करने के लिए कहा जाता है। सही मायनों में मेडिटेशन इससे बहुत अधिक है। यह गहरी शांति की एक ऐसी अनुभूति है जो तब होती है जब मन अंदर से शांत होता है। सच्चा मेडिटेशन वो होता है जिसमें न बदल पाने वाले अतीत और अनिश्चित भविष्य के बारे में सोचने के बजाय वर्तमान के समय पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। बात सिर्फ इतनी है कि ऐसा किया कैसे जाये। ये हम आपको इस लेख में बताएँगे।