योग क्या है? - What is Yoga?

योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इस लिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुड़ना। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह योग या एकता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बँध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है। तो योग जीने का एक तरीका भी है और अपने आप में परम उद्देश्य भी।

योग सबसे पहले लाभ पहुँचाता है बाहरी शरीर (फिज़िकल बॉडी) को, जो ज्यादातर लोगों के लिए एक व्यावहारिक और परिचित शुरुआती जगह है। जब इस स्तर पर असंतुलन का अनुभव होता है, तो अंग, मांसपेशियां और नसें सद्भाव में काम नहीं करते हैं, बल्कि वे एक-दूसरे के विरोध में कार्य करते हैं।

बाहरी शरीर (फिज़िकल बॉडी) के बाद योग मानसिक और भावनात्मक स्तरों पर काम करता है। रोज़मर्रा की जिंदगी के तनाव और बातचीत के परिणामस्वरूप बहुत से लोग अनेक मानसिक परेशानियों से पीड़ित रहते हैं। योग इनका इलाज शायद तुरंत नहीं प्रदान करता लेकिन इनसे मुकाबला करने के लिए यह सिद्ध विधि है।

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पिछली सदी में, हठ योग (जो की योग का सिर्फ़ एक प्रकार है) बहुत प्रसिद्ध और प्रचलित हो गया था। लेकिन योग के सही मतलब और संपूर्ण ज्ञान के बारे में जागरूकता अब लगातार बढ़ रही है।

योग के लाभ - Benefits of Yoga

शारीरिक और मानसिक उपचार योग के सबसे अधिक ज्ञात लाभों में से एक है। यह इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह सद्भाव और एकीकरण के सिद्धांतों पर काम करता है।

योग अस्थमा, मधुमेह, रक्तचाप, गठिया, पाचन विकार और अन्य बीमारियों में चिकित्सा के एक सफल विकल्प है, ख़ास तौर से वहाँ जहाँ आधुनिक विज्ञान आजतक उपचार देने में सफल नहीं हुआ है। एचआईवी (HIV) पर योग के प्रभावों पर अनुसंधान वर्तमान में आशाजनक परिणामों के साथ चल रहा है। चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार, योग चिकित्सा तंत्रिका और अंतःस्रावी तंत्र में बनाए गए संतुलन के कारण सफल होती है जो शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करती है। 

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अधिकांश लोगों के लिए, हालांकि, योग केवल तनावपूर्ण समाज में स्वास्थ्य बनाए रखने का मुख्य साधन हैं। योग बुरी आदतों के प्रभावों को उलट देता है, जैसे कि सारे दिन कुर्सी पर बैठे रहना, मोबाइल फोन को ज़्यादा इस्तेमाल करना, व्यायाम ना करना, ग़लत ख़ान-पान रखना इत्यादि।

इनके अलावा योग के कई आध्यात्मिक लाभ भी हैं। इनका विवरण करना आसान नहीं है, क्योंकि यह आपको स्वयं योग अभ्यास करके हासिल और फिर महसूस करने पड़ेंगे। हर व्यक्ति को योग अलग रूप से लाभ पहुँचाता है। तो योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लायें।

योग के नियम - Rules of Yoga

अगर आप यह कुछ सरल नियमों का पालन करेंगे, तो अवश्य योग अभ्यास का पूरा लाभ पाएँगे:

  • किसी गुरु के निर्देशन में योग अभ्यास शुरू करें।
  • सूर्योदय या सूर्यास्त के वक़्त योग का सही समय है।
  • योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें।
  • योग खाली पेट करें। योग करने से 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।
  • आरामदायक सूती कपड़े पहनें।
  • तन की तरह मन भी स्वच्छ होना चाहिए - योग करने से पहले सब बुरे ख़याल दिमाग़ से निकाल दें।
  • किसी शांत वातावरण और सॉफ जगह में योग अभ्यास करें।
  • अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
  • योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।
  • अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
  • धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है।
  • निरंतर योग अभ्यास जारी रखें।
  • योग करने के 30 मिनिट बाद तक कुछ ना खायें। 1 घंटे तक न नहायें।
  • प्राणायाम हमेशा आसन अभ्यास करने के बाद करें।
  • अगर कोई मेडिकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह करें।
  • अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग अभ्यास रोक दें।
  • योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें।

योग के प्रकार - Types of Yoga

योग के 4 प्रमुख प्रकार या योग के चार रास्ते हैं:

  • राज योग:
    राज का अर्थ शाही है और योग की इस शाखा का सबसे अधिक महत्वपूर्ण अंग है ध्यान। इस योग के आठ अंग है, जिस कारण से पतंजलि ने इसका नाम रखा था अष्टांग योग। इसे योग सूत्र में पतंजलि ने उल्लिखित किया है। यह 8 अंग इस प्रकार है: यम (शपथ लेना), नियम (आचरण का नियम या आत्म-अनुशासन), आसन, प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन), और समाधि (परमानंद या अंतिम मुक्ति)। राज योग आत्मविवेक और ध्यान करने के लिए तैयार व्यक्तियों को आकर्षित करता है। आसन राज योग का सबसे प्रसिद्ध अंग है, यहाँ तक कि अधिकतर लोगों के लिए योग का अर्थ ही है आसन। किंतु आसन एक प्रकार के योग का सिर्फ़ एक हिस्सा है। योग आसन अभ्यास से कहीं ज़्यादा है। (और पढ़ें - अमेरिकन योग ट्रेनर द्वारा अष्टांग योग का अभ्यास
     
  • कर्म योग:
    अगली शाखा कर्म योग या सेवा का मार्ग है और हम में से कोई भी इस मार्ग से नहीं बच सकता है। कर्म योग का सिद्धांत यह है कि जो आज हम अनुभव करते हैं वह हमारे कार्यों द्वारा अतीत में बनाया गया है। इस बारे में जागरूक होने से हम वर्तमान को अच्छा भविष्य बनाने का एक रास्ता बना सकते हैं, जो हमें नकारात्मकता और स्वार्थ से बाध्य होने से मुक्त करता है। कर्म आत्म-आरोही कार्रवाई का मार्ग है। जब भी हम अपना काम करते हैं और अपना जीवन निस्वार्थ रूप में जीते हैं और दूसरों की सेवा करते हैं, हम कर्म योग करते हैं। 
     
  • भक्ति योग:
    भक्ति योग भक्ति के मार्ग का वर्णन करता है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है। भक्ति का मार्ग हमें सभी के लिए स्वीकार्यता और सहिष्णुता पैदा करने का अवसर प्रदान करता है। 
     
  • ज्ञान योग:
    अगर हम भक्ति को मन का योग मानते हैं, तो ज्ञान योग बुद्धि का योग है, ऋषि या विद्वान का मार्ग है। इस पथ पर चलने के लिए योग के ग्रंथों और ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना जाता है और साथ ही साथ सबसे प्रत्यक्ष। इसमें गंभीर अध्ययन करना होता है और उन लोगों को आकर्षित करता है जो बौद्धिक रूप से इच्छुक हैं। (और पढ़ें - कमजोर याददाश्त के लिए योग)

योग कब करें या योग करने का सही समय क्या है? - What is the correct time to practice Yoga?

सुबह सूर्योदय से पहले एक से दो घंटे योग के लिए सबसे अच्छा समय है। अगर सुबह आपके लिए मुमकिन ना हो तो सूर्यास्त के समय भी कर सकते हैं। इसके अलावा इन बातों का भी ख़ास ध्यान रखें:

  • अगर दिन का कोई समय योग के लिए निर्धारित कर लें, तो यह उत्तम होगा।
  • सब आसन किसी योगा मैट या दरी बिछा कर ही करें।
  • आप योग किसी खुली जगह जैसे पार्क में कर सकते हैं, या घर पर भी। बस इतना ध्यान रहे की जगह ऐसी हो जहाँ आप खुल कल साँस ले सकें।

(और पढ़ें - सुबह जल्दी उठने के फायदे)

योगाभ्यास शुरू करने से पहले सही मानसिक स्थिति क्या है? - What is the correct mental state before starting Yoga practice?

योग आसन हमेशा मन को शांतिपूर्ण अवस्था में रख कर किए जाने चाहिए। शांति और स्थिरता के विचार के साथ अपने मन को भरें और अपने विचारों को बाहारी दुनिया से दूर कर स्वयं पर केंद्रित करें। सुनिश्चित कर लें कि आप इतने थके ना हों कि आसन पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हों अगर थकान ज़्यादा हो तो केवल रिलैक्स करने वाले आसन ही करें।

योगाभ्यास के दौरान सही मानसिक स्थिति क्या है? - What is the correct mental state during Yoga practice?

आप जो आसन कर रहे हैं, उस पर गहरा ध्यान लगायें। शरीर के जिस अंग पर उस आसन का सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ता है, उस पर अपनी एकाग्रता केंद्रित करें। ऐसा करने से आपको आसान का आशिकतम लाभ मिलेगा। आसन करते समय, श्वास बहुत महत्वपूर्ण होता है। आसन के लिए जो सही श्वास करने का तरीका है वैसा ही करें (कब श्वास अंदर लेना है और बाहर छोड़ना है)। अगर आपको इसका ग्यात ना हो तो जो सामान्य लयबद्ध श्वास रखें।

योग की शुरुआत करने के लिए टिप्स और सुझाव - Yoga Tips for Beginners

अगर आप योगाभ्यास जीवन में पहली बार शुरू कर रहे हैं या योग से ज़्यादा परिचित नहीं हैं, तो इन बातों का ख़ास ध्यान रखें:

  • अपने योगाभ्यास को धैर्य और दृढ़ता के साथ करें। अगर आपके शरीर में लचीलापन कम है तो आपको शुरुआत में अधिकतर आसन करने में कठिनाई हो सकती है। अगर आप पहले-पहले आसन ठीक से नहीं कर पा रहे हों तो चिंता ना करें। सभी आसान दोहराव के साथ आसान हो जाएँगे। जिन मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव कम है, वह सब धीरे-धीरे लचीले हो जाएँगे।
  • अपने शरीर के साथ जल्दबाज़ी या ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
  • शुरुआत में आप सिर्फ़ वही आसन कर सकते हैं जो आप आसानी से कर पायें। बस इतना ध्यान रखिए की आपकी श्वास लयबद्ध हो।
  • शुरुआत में हमेशा दो आसन के बीच कुछ सेकंड के लिए आराम करें। दो आसन के बीच में विश्राम की अवधि अपनी शारीरिक ज़रूरत के हिसाब से तय कर लें। समय के साथ यह अवधि कम कर लें।

अच्छे योगाभ्यास के लिए क्या सावधानियों बरतनी चाहियें? - What precautions to take for a good Yoga practice?

  • ज़्यादातर ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। किंतु आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार यह अनुमान लगा सकती हैं कि आपको मासिक धर्म के दौरान योगाभ्यास सूट करता है कि नहीं।
  • गर्भावस्था के दौरान योग किसी गुरु की देखरेख में करें तो बेहतर होगा।
  • 10 वर्ष की आयू से कम के बच्चों को ज़्यादा मुश्किल आसन ना करायें। किसी गुरु के निर्देशन में ही योग करें।
  • ख़ान-पान में संयम बरते। समय से खाएं-पीए।
  • धूम्रपान सख्ती से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। अगर आपको तंबाकू या धूम्रपान की आदत है, तो योग अपनायें और यह बुरी आदत छोड़ने की कोशिश करें। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के उपाय)
  • नींद ज़रूर पूरी लें। शरीर को व्यायाम और पौष्टिक आहार के साथ विश्राम की भी जरूरत होती है। इसलिए समय से सोए।

विश्वास का महत्व एक अच्छे योग अभ्यास के लिए - Importance of Faith for a good Yoga practice

अपने आप में और योग में विश्वास रखें। सकारात्मक सोच एक आदर्श योगाभ्यास की सच्ची साथी है। आपकी मानसिक दशा ओर दृष्टिकोण ही अंत में आपको योग से मिलने वाले तमाम फायदे दिलाती है।

योगासन की सूची - List of Yoga Poses

यहाँ हमने सबसे ज्यादा किए जाने वाले योगासन की सूची दी है -

संदर्भ

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